जन्माष्टमी पर लोध गोपाल को घर लाना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यदि आप जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर लोध गोपाल को घर पर लाते हैं, तो इससे आपके जीवन के सभी दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं, अगर आपके घर में पहले से ही लोध गोपाल मंदिर हैं, तो आपको जन्माष्टमी के दिन लोध गोपाल की विशेष पूजा जरूर करानी चाहिए। साथ ही जन्माष्टमी के दिन लोध गोपाल का श्रृंगार करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। आइये जानते हैं जन्माष्टमी पर लोध गोपाल की पूजा और आराधना कैसे करें।
जन्माष्टमी पर लोध गोपाल की विशेष पूजा का महत्व जिस प्रकार के बच्चे घर में खुशियाँ लेकर आते हैं और सभी तरह की दोवेश भावनाओं को दूर कर देते हैं, इसी तरह जन्माष्टमी पर घर में लोध गोपाल को लाने से सभी तरह की खुशी दूर हो जाती है हैं और घर में ख़ुशनुमा मृगतृष्णा बनी है। साथ ही जन्माष्टमी पर लोध गोपाल की विशेष पूजा से व्यवसाय और यात्राएं होती हैं और जीवन सफल होता है।
मध्यरात्रि पर लोध गोपाल की पूजा का महोत्सव लोध गोपाल का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए आज लोध गोपाल की पूजा चंद्रोदय के बाद ही करें। वहीं, जन्माष्टमी पर मध्य रात्रि 11 बजे 05 मिनट बाद चंद्रमा का उदय होगा। मध्य रात्रि 12 बजे तक ही रोहिणी नक्षत्र रहता है, इसलिए 26 अगस्त की रात 11:05 से रात 12 बजे तक ही पूजा का शुभ संकेत है।
जन्माष्टमी पर दो बार करें लोध गोपाल की विशेष पूजा जन्माष्टमी पर दो बार करें लोध गोपाल की विशेष पूजा। सबसे पहले सुबह लोध गोपाल को कच्चे दूध में गुलाब की पखु मूर्ति स्नानघर लगाना चाहिए। इसके बाद लोध गोपाल को एक नर कपड़े से साफ करें। लोध गोपाल को स्नानघर के बाद उन्हें पीले रंग के वस्त्र वस्त्र पहनाएं। मुकुट और हार परिधानकर श्रृंगार करें मध्यरात्रि 12 बजे के बाद करें श्रीकृष्ण का श्रृंगार और पूजन मध्यरात्रि 12 बजे के बाद भी किया जाता है। श्रीकृष्ण के पुराने परिधानों में उनके पूरे शरीर पर चंदन का लेप लगाकर उन्हें कच्चे दूध में नहलाया गया। स्नानघर के बाद उन्हें मलमल के कपड़े में लपेटकर कुछ देर के लिए रखें। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र परिधान मिले। नए परिधानों के बाद उनके तिलक करें और लोध गोपाल को भोग लगाएं, माखन-मिश्री का भोग लगाएं। इसके बाद उनके पास मिठाइयाँ और खिलौने रख दिए गए। इसके बाद श्रीकृष्ण भजन गाकर उन्हें झूला झुलाएं और फिर सुला दें।
जन्माष्टमी पर लोध गोपाल की पूजा का विशेष नियम जन्माष्टमी पर जब आप चन्द्रोद्रय के समय दूसरी बार लोध गोपाल की पूजा करें, तो जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।
जन्माष्टमी पर आप लोध गोपाल की पूजा करने के बाद उन्हें झूला जरूर झुलाएं लेकिन ध्यान दें कि साथ में धीमी आवाज में भजन जरूर गाएं और थोड़ी देर बाद लोध गोपाल को झुकाए से वापस अपने स्थान पर स्थापित कर लें, जिससे कि लोध गोपाल की नींद खुल जाए बुरा न हो।