लखनऊ, उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को साफ किया कि विधायक निधि के तहत कराये गये विकास कार्यो में खर्च होने वाली रकम पर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में छूट प्रदान करने के लिये प्रदेश सरकार निर्णायक भूमिका में नहीं है।
रायबरेली के सपा सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि विधायक निधि में हर साल दिये जाने वाले पांच करोड़ रूपये में से 18 फीसदी धन जीएसटी के मद में चला जाता है जिससे विधायक के पास क्षेत्र के विकास के लिये चार करोड़ दस लाख रूपये ही बचते है। अगर सरकार चाहे तो जीएसटी को माफ कर दे जिससे शत प्रतिशत धन विकास कार्यो में खर्च हो सके।
सवाल के जवाब में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पिछले साल सभी सदस्यों की रजामंदी से जीएसटी लागू किया गया था और सदस्य का यह कहना भी गलत है कि विधायक निधि से 18 फीसदी टैक्स काटा जाता है, सच्चाई यह है कि निधि से होने वाले कार्यो के दौरान इस्तेमाल होने वाली सामग्री पर जीएसटी देनी होती है। इसका निर्णय जीएसटी काउंसिल लेती है जिसमें राज्य सरकार कभी भी निर्णायक भूमिका में नही है। जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट कमेटी और लीगल कमेटी निर्माण सामग्री में लगने वाले कर की सीमा तय करती है।