चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनमें दम है तो वह यह बोल कर दिखाएं कि लालू परिवार भ्रष्टाचार में शामिल नहीं है ।
प्रशांत किशोर ने बुधवार को अपनी जन सुराज पदयात्रा के 165 वें दिन सारण जिले के मांझी में मीडिया संवाद के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर भ्रष्टचार मामले में हो रही कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि श्री नीतीश कुमार खुश हैं या नहीं ये बात उनसे ज्यादा कौन जान सकता है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर जो छापा पड़ा है, उस पर नीतीश कुमार न तो पक्ष में बोल रहे हैं और न ही विपक्ष में।
चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि नीतीश कुमार को साफ तौर पर कहना चाहिए कि लालू प्रसाद यादव हमारे सहयोगी हैं और इन पर भ्रष्टाचार के सारे आरोप गलत हैं। अगर वह इस बात को नहीं कह रहे हैं तो आप समझ लीजिए वह क्या कहना चाहते हैं।
किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को मालूम है कि 2025 में उनकी सरकार नहीं बनेगी और न ही वह मुख्यमंत्री बन पाएंगे । इसलिए, वह चाहते हैं कि बिहार को ऐसी सरकार मिले जो उनसे भी खराब काम करे, जिससे लोग यह कह सके कि नीतीश कुमार की सरकर कितनी भी खराब हो, लेकिन इससे तो अच्छी ही थी ।
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके किशोर ने कहा, “मैं नीतीश कुमार को बहुत भीतर से जानता हूं कि वो क्या सोचते हैं। यदि नीतीश कुमार में दम है तो वह बोलकर दिखा दें कि लालू यादव, तेजस्वी और उनके परिवार के लोग भ्रष्टचार में शामिल नहीं हैं और उनके खिलाफ एक राजनीतिक षड्यंत्र रचा जा रहा है।”
किशोर ने कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सबसे जरूरी है समाज के स्तर पर सही लोगों का चुनाव हो । यदि आप 500 रुपये लेकर मुखिया चुनते हैं और फिर आप ये सोचते हैं कि वह आपका काम बिना कमीशन के करवा देगा तो ये मुमकिन नहीं है। दूसरा जनभागीदारी, बिहार के लोगों को पता ही नहीं है कि उनके अधिकार क्या है जैसे कौन सी योजना है । मुखिया जी को कितना पैसा आया । प्रमुख के क्या कार्य है और वार्ड सदस्य की क्या सीमा है।
बिहार में राजनीतिक जमीन तलाशने निकले किशोर ने कहा कि कुछ लोगों को इन बातों की जानकारी है, लेकिन इसको सुधारने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि इंदिरा आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत किस को मकान मिलना चाहिए, बिहार में इसकी व्यवस्था 2001 तक थी। ग्राम सभा में सब लोग मिलकर ये तय करें कि किसको इसका लाभ मिलना चाहिए लेकिन ग्राम सभा की व्यवस्था को खत्म करके उसकी जगह 4 अफसर लगा दिए गए हैं जो स्वभाविक तौर पर कमीशन ले रहे हैं ।
किशोर ने कहा कि तीसरा है संसाधन और सत्ता का विकेन्द्रीकरण। आज के समय में बिहार में हर फैसला मुख्यमंत्री और उनके इर्द-गिर्द बैठे तीन- चार मंत्री और अफसर ही ले रहे हैं । उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में किस जगह किस व्यवस्था की जरूरत है, वह मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे चार अफसर तय कर रहें हैं तो सुधार कैसे होगा ।
चुनावी रणनीतिकार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जन सुराज पदयात्रा के पीछे उनकी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है।उनकी महत्वाकांक्षा है कि बिहार के लोगों को राज्य के बाहर जलील नहीं होना पड़े और बिहार देश के सबसे विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल हो ।