लखनऊ उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष एवं समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव पर कटाक्ष करते हुये कहा कि यह देखकर अच्छा लगा कि समाजवादियों को बढ़ती जनसंख्या की चिंता है।
रोजगारपरक शिक्षा को शामिल करने के संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए योगी ने कहा, “ यह देखकर अच्छा लगा कि विपक्ष के नेता को जनसंख्या की चिंता है। कम से कम समाजवादियों के बीच कुछ प्रगति हुई है। प्रगति के बारे में सोचना अच्छी बात है।”
दरअसल, एक पूरक प्रश्न में अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री से 2017 से 2022 के बीच 15 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या में वृद्धि के बारे में जानना चाहा था। उन्होंने कहा, “ मुख्यमंत्री ने बेरोजगारी के संबंध में कई बातें रखी हैं लेकिन मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि 2017 से 2022 के बीच 15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों में कितनी संख्या बढ़ी है। क्या आपकी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) बताएगी कि बेरोजगार लोगों का भविष्य सुधारने और उन्हें रोजगार देने की कितनी संभावना है।”
योगी ने कहा, “ अभी एक सदस्य ने बेसिक शिक्षा में एक राज्य, एक कोर्स और एक कीमत को लेकर सवाल पूछा था, अगर इसमें एक देश एक कानून जोड़ दिया जाता तो बेहतर होता।” अखिलेश के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बेरोजगारी दर उपलब्ध कराए गए रोजगार के अवसरों पर निर्भर करती है। 2016-17 के बीच यूपी में बेरोजगारी दर 19 प्रतिशत से अधिक थी और आज यह तीन से चार प्रतिशत के बीच है जो राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों के सृजन के माध्यम से पिछले छह वर्षों में किए गए सुधार को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
उन्होने कहा कि भर्ती प्रक्रियाएं पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ संचालित की जा रही हैं और अदालतों में नियुक्तियों में अनुचित साधनों और प्रथाओं के उपयोग से संबंधित कोई मामला लंबित नहीं है। न्यायपालिका भी जानती है कि भर्ती प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता है और सरकार शुचिता और पूरी ईमानदारी के साथ आगे बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री कहा, “ यूपी के बारे में इस बदली हुई धारणा के कारण ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान 36 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिससे राज्य में एक करोड़ रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यूपी के युवाओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए दो करोड़ टैबलेट और स्मार्टफोन दिए जा रहे हैं।”
उन्होने कहा कि रोजगारपरक सवाल उठाने वाले सदस्य ने अगर एनईपी के बारे में पढ़ा होता तो वे ऐसा सवाल नहीं उठाते। एनईपी लागू कर दिया गया है और इस कार्यक्रम के तहत नियमित पाठ्यक्रमों के समानांतर विभिन्न रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम प्रदान करना शुरू किया गया है।
योगी ने कहा कि राज्य सरकार इस अभियान को माध्यमिक शिक्षा में भी आगे बढ़ा रही है जहां नियमित पाठ्यक्रम जारी रखते हुए छात्रों को पैरा-मेडिकल, ड्रोन प्रौद्योगिकी, डेटा विश्लेषण, 3 डी प्रिंटिंग और अन्य संबंधित प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। ये पाठ्यक्रम तीन से छह महीने की अवधि के हैं। तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी व्यापक बदलाव किए जा रहे हैं।
सपा पर तंज कसते हुये उन्होने कहा, “ मैं आपका दर्द समझ सकता हूं जब आप कहते हैं कि पिछले छह साल में कोई भर्ती नहीं हुई। दरअसल, पिछले छह साल में प्रदेश में व्यवस्थित तरीके से नकलविहीन परीक्षाएं कराई गईं और नकल पर शिकंजा कसा गया। पहली बार माध्यमिक शिक्षा की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं मात्र 15 दिन में संपन्न हुईं और मात्र 14 दिन में परिणाम जारी कर दिया गया। 56 लाख परीक्षार्थियों का रिजल्ट केवल 29 दिनों के भीतर (परीक्षा शुरू होने से लेकर परिणाम जारी होने तक) छात्रों का रिजल्ट जारी कर दिया गया। यह भी उन सुधारों का परिणाम है जो आज शिक्षा क्षेत्र में देखने को मिल रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक शिक्षकों की भर्ती का सवाल है तो कोई मामला कोर्ट में लंबित नहीं है। सरकार ने बेसिक और माध्यमिक शिक्षा में 1.64 हजार से अधिक शिक्षकों की भर्ती की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने माध्यमिक, बुनियादी, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और संस्कृत स्कूलों में रिक्तियों को भरने के लिए पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए एक नया शिक्षा आयोग स्थापित करने के लिए एक विधेयक पेश किया है। उन्होंने कहा, “ आपको विधेयक पर अपनी राय व्यक्त करने का भी अवसर मिलेगा। सरकार आगे आने वाले किसी भी सुझाव पर विचार करेगी।”