प्रयागराज, तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी गंगा में बढे जलस्तर के कारण दूर दराज से आने वाले लोगों को अपने मृतक परिजनों की अंत्येष्टि गंगा घाट से सटी सड़क के किनारे ही करना पड़ रहा है।
शहर में दारागंज और रसूलाबाद गंगा तट पर अंत्येष्टि की जाती है। दोनो घाट जनामग्न हो गये हैं जिस कारण शवों के अंतिम संस्कार सड़क किनारे पर किये जा रहे हैं।
दारागंज में अंत्येष्टी के लिए कोई घाट नहीं है। आस-पास और दूर दराज से आने वाले लोग शास्त्री पुल के नीचे गंगा घाट पर ही अंत्येष्टि करते हैं। बाढ़ के कारण अंत्येष्टि स्थल जलमग्न हो गया है जिस कारण लोगों काे सड़कों पर ही अंत्येष्टि करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
रसूलाबाद स्थित श्मशानघाट का भी यही हाल है। यहां भी घाट में बाढ़ का पानी पसरा हुआ है जिसके चलते लोगों को प्रियजनों की अंत्येष्टि गंगा घाट छोड़ कर सड़क किनारे करना पड रहा है।
दारागंज घाट पर अंत्येष्टि क्रिया कराने वाले पंडा अमन ने बताया कि प्रयागराज में शहर और आस-पास के जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश के नजदीकी मध्य प्रदेश की सीमा से सटे आस-पास के गांव के लोग भी अपने प्रियजनों की अंत्येष्टि करने पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ से पहले यहां प्रतिदिन करीब 30 शव की अंत्येष्टि की जाती थी। बाढ़ के कारण अब दिनभर में करीब 10 शव की अंत्येष्टि हो जाती है। कुछ लोग तो अपने प्रियजन की अंत्येष्टि नजदीक में कर देते हैं लेकिन इस बदतर स्थिति में भी लोग घाट पर शव की अंत्येष्टि कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शव दाह के लिए अभी 700 रूपए क्विंटल लकड़ी है।
प्रतापगढ़ निवासी दीपक मिश्र का कहना है कि सामान्यतौर पर दारागंज में शास्त्री पुल के नीचे गंगा का प्रवाह रहता है। बाढ़ से पहले गंगा तट से कुछ कदम की दूरी पर चिता सजाकर अंत्येष्टि की जाती थी। अंत्येष्टि स्थल के बगल से बह रहीं गंगा जल में डूबो कर शव का स्नान कराया जाता था। उन्होने बताया कि अंत्येष्टी के बाद शरीर के बचे कुछ अंश को वहीं गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है। अब हर प्रकार से परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि लगातार हो रही बारिश के कारण लकड़ियां भी गीली हो गयीे हैं जिससे अंत्येष्टी में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।